गट-ब्रेन एक्सिस
गट ब्रेन एक्सिस पर की गयी रिसर्च में विभिन्न रिसर्चस ने अलग-अलग तरीकों से इसके बारे में पता लगाया तथा इसके बारे में महत्वपूर्ण योगदान दिया, जैसे कि-
जेम्स जॉनसन: 1827 में, जेम्स जॉनसन ने गट और इमोशंस के बीच संबंध पर चर्चा की थी, जो कि गट-ब्रेन एक्सिस के शुरुआती विचारों में से एक है.
एंटोनियो डेविज: एंटोनियो डेविज,जो कि एक मनोवैज्ञानिक थे, उन्होंने गट माइक्रोबायोम और मस्तिष्क समारोह के बीच संबंध के बारे में महत्वपूर्ण रिसर्च किया
जॉन क्रायन: प्रोफेसर जॉन क्रायन ने गट-ब्रेन एक्सिस के तंत्र और विभिन्न बीमारियों पर इसके प्रभाव के बारे में महत्वपूर्ण रिसर्च किया है, इन रिसर्चस के अलावा, कई अन्य लोगों ने भी गट-ब्रेन एक्सिस के बारे में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया।
क्या आप जानते हैं, हैप्पी गट-हैप्पी माइंड का क्या मतलब है ? हैप्पी गट, हैप्पी माइंड" का मतलब है कि हमारी आंतों का स्वास्थ्य (गट हेल्थ) मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है और मानसिक स्वस्थ हमारी गट हेल्थ को प्रभावित करता है ,गट को अक्सर हमारा "दूसरा मस्तिष्क" कहा जाता है क्योंकि गट में मौजूद बैक्टीरिया और सूक्ष्मजीव न्यूरोट्रांसमीटर नामक रसायन बनाते हैं, जो हमारे मस्तिष्क में भी पाए जाते हैं. सेरोटोनिन जिसे "खुशी हार्मोन" के रूप में जाना जाता है उसका लगभग 90% सेरोटोनिन गट में बनता है, न कि हमारे मस्तिष्क में।यही सेरोटोनिन हार्मोन हमारे मूड को नियंत्रित करने, और हमारे मन को खुश रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।इसीलिए जब हमारा गट अच्छा होता है तो मानसिक स्वास्थ भी अच्छा होता है ।
इन सभी बातों को गहराई से समझने के लिए मैं आपसे इस वीडियो में तीन विषयों पर बात करूँगा-
पहला गट से जुड़ी क्या समस्याएं हैं और इनके क्या कारण हैं ?दूसरा अगर गट ठीक नहीं हुआ तो हमें आगे क्या नुकसान हो सकते हैं और तीसरा हमें किन चीज़ों को छोड़ना है और किन चीज़ों को अपनाना है ताकि हम अपने गट को ठीक रख सकें।
तो सबसे पहले बात करते हैं कि गट से जुड़ी क्या समस्याएं हैं और इसके क्या कारण हैं? देखिए मित्रों गट से जुड़ी सबसे आम समस्याएं हैं कब्ज, दस्त, पेट दर्द, सूजन, और गैस आदि. इन समस्याओं के कई कारण हो सकते हैं, जैसे कि गलत आहार, तनाव, शराब और एंटीबायोटिक !
आपको जानकर आश्चर्य होगा कि हमारे पेट में लगभग 1000 प्रकार के जीवाणु यानि बैक्टीरियों की प्रजातियाँ रहती हैं। इनका अपना काम होता है, और अपनी ताकत होती है। कुछ बैक्टीरिया हमारे शरीर के लिए अच्छे होते हैं और कुछ हानिकारक। अब यहां पर अच्छे और बुरे बैक्टीरिया का क्या मतलब है, मित्रों हमारे पेट में दो तरह के बैक्टीरिया होते हैं, एक होते हैं अच्छे बैक्टीरिया, और दूसरे होते हैं बुरे बैक्टीरिया,अच्छे बैक्टीरिया हमारी पाचन क्रिया को सही तरीके से काम करने में मदद करते हैं, जबकि बुरे बैक्टीरिया हमारे शरीर के लिए हानिकारक होते हैं और जब इनकी संख्या बढ़ जाती तो ये हमारे शरीर में कब्ज, दस्त, पेट दर्द, सूजन, और गैस आदि को जन्म देते हैं और हमारी इम्यूनिटी को कमजोर बना देते हैं। मित्रों जब अच्छे और बुरे बैक्टीरिया का संतुलन शरीर में बिगड़ जाता है, तो इसे "डायबोस" कहते हैं, यह भी गट ख़राब होने का एक अन्य कारण है।
अब बात करते हैं मानसिक स्वास्थ कैसे हमारी गट हेल्थ को प्रभावित करता है , जिसे अक्सर लोग नज़रअंदाज़ कर देते हैं। इस पर की गयी कई वैज्ञानिक रिसर्चों से हमें पता चलता है कि हमारे दिमाग और पेट के बीच में एक गहरा संबंध है, जिसे गट-ब्रेन ऐक्सिस कहा जाता है, जिसके बारे में मित्रों मैंने इस वीडियो की स्टार्टिंग में बताया था, यानि हमारे मानसिक तनाव का सीधा असर हमारी गट हेल्थ पर पड़ता है।जब किसी काम की टेंशन, ख़राब रिश्तों, या किसी अन्य समस्या के कारण हमारा मानसिक स्वास्थ ठीक नहीं होता और हम टेंशन में होते हैं तो यह सीधे सीधे हमारे गट हेल्थ को प्रभावित करने लगता है
अब सवाल यह उठता है कि मानसिक तनाव से हमारा गट(पेट) कैसे खराब हो जाता है? देखिए मित्रों जब हम मानसिक तनाव यानि स्ट्रेस में होते हैं, तो हमारे ब्रेन से निकलने वाले न्यूरोकेमिकल्स और कोर्टिसोल हार्मोन हमारे गट तक पहुंचते हैं।कॉर्टिसोल हार्मोन, जिसे "तनाव हार्मोन" भी कहा जाता है, पाचन तंत्र को कई तरह से प्रभावित करता है।ज्यादा कोर्टिसोल होने पर यह डिस्बायोसिस की समस्या पैदा कर देता है , जिसमे ख़राब बैक्टीरिया ज्यादा और अच्छे बैक्टीरिया कम हो जाते है और हमारा पेट ख़राब हो जाता है।
आपने नोटिस किया होगा कि- जब हम बहुत तनाव में होते हैं, तो या तो हमें भूख ही नहीं लगती, या फिर हमारा ज्यादा खाने का मन करता है। ऐसा भी कोर्टिसोल हॉर्मोन के कारण होता है, क्योकि कोर्टिसोल हार्मोन ज्यादा होने पर हमारी भूख को बढ़ा देता है, या हमें भूख ही नहीं लगती।इसके अलावा अगर खाने की किसी चीज़ से हमें एलर्जी तो उसका प्रभाव भी हमारी गट हेल्थ पर पड़ता है, गट में एलर्जी हो जाने से वहां सूजन और दर्द की समस्या बढ़ जाती है और डाइजेशन ठीक तरीके से नहीं हो पाता है और हमारा पेट ख़राब हो जाता है।
अब बात अब बात करते हैं कि आखिर हमें करना क्या चाहिए जिससे हम अपने गट को ठीक रख सकें और खुद को हेल्दी रख सकें। इसके लिए मैं आपको कुछ आसान और असरदार उपाय बताने जा रहा हूँ।
1. नेचुरल और शुद्ध आहार अपनाइए: मित्रों आज कल प्रोसेस्ड फूड और रिफाइन्ड चीज़ें हमारे गट को सबसे ज़्यादा नुकसान पहुँचाती हैं। इसलिए जितना हो सके हमें घर का बना ताज़ा खाना, ताज़े फल व् सब्जियाँ अपने आहार में लेने चाहिए, अगर आप सरदर्द से राहत पाने के लिए स्ट्रेस रिलीफ टी या काढ़ा बना रहे है उसमे चीनी के स्थान पर आर्यधेनु नेचुरल और केमिकल-फ्री स्स्वीटनर्स जैसे गुड़, खांड, शक्कर आदि इस्तेमाल करने चाहिए।आर्यधेनु नेचुरल स्वीटनर्स पारम्परिक विधि द्वारा गन्ने के शुद्ध रस से बनाए जाते हैं, और इनमें किसी भी प्रकार के केमिकल का इस्तेमाल नहीं किया जाता है, तो जब भी आप भोजन,आइस क्रीम, चाय, कॉफ़ी, गर्मियों में शरबत आदि बनाएं तो आप केमिकल - युक्त चीनी की जगह इनका इस्तेमाल कर सकते हैं, इसके अलावा खाने में हमेशा ताज़ी और शुद्ध फल व् सब्जियों का प्रयोग करें।
2. तनाव से मुक्ति पाएँ और मन को शांति दें: मित्रों जैसा कि हमने जाना, तनाव का सीधा असर हमारी गट हेल्थ पर पड़ता है। इसलिए, यह बहुत ज़रूरी है कि हम तनाव को नियंत्रित करें और मन को शांति देने के उपायों को अपनाएँ।इसके लिए, रोजाना 10-15 मिनट का ईश्वर का ध्यान करना (मेडिटेशन) करना एक प्रभावी तरीका है, जो न केवल हमें मानसिक शांति देता है बल्कि गट को भी आराम पहुंचाता है। गहरी साँसों का अभ्यास, जिसे प्राणायाम भी कहते हैं, हमारा तनाव कम करने और शारीरिक संतुलन बनाने में मदद करता है। इसके अलावा, खुलकर हँसने,पार्क में टहलने और खेलने कूदने से भी हमारे मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।इन छोटे-छोटे उपायों से हम अपने जीवन को तनावमुक्त और खुशहाल बना सकते हैं।
3.प्रोबायोटिक और फर्मेन्टेड फूड को अपने आहार में शामिल करना: मित्रों, क्योंकि हमारी गट हेल्थ सीधे तौर पर हमारी डाइट से जुडी होती है। इसलिए, यह ज़रूरी है कि हम अपनी डाइट में ऐसी चीज़ें शामिल करें जो हमारे गट के अच्छे बैक्टीरिया को बढ़ावा दें। प्रोबायोटिक और फर्मेन्टेड फ़ूड जैसे दही और घर की बनी अचार गट के अच्छे बैक्टीरिया को बढ़ाने में मदद करती हैं।जो हमारी पाचन क्रिया को बेहतर बनाने में हमारी सहायता करते हैं।इसके अलावा मित्रों, आर्यधेनु गुड़ और छाछ का संयोजन भी गट हेल्थ को बेहतर बनाने में मदद करता है। गुड़ न केवल हमारे शरीर को ऊर्जा देता है, बल्कि यह हमारी इम्युनिटी को भी को भी मजबूत बनाता है
4. नींद पूरी लीजिए और शरीर को आराम दीजिए: हेल्दी गट और बेहतर डाइजेशन के लिए नींद का पूरा होना बेहद ज़रूरी है। जब हमारा शरीर पर्याप्त नींद नहीं लेता, तो उसका असर सीधे हमारे डाइजेशन सिस्टम, हार्मोन बैलेंस और हमारी मेंटल हेल्थ पर पड़ता है। इसलिए मित्रों, हमें रोज़ाना कम से कम 7 से 8 घंटे की गहरी नींद लेना आवश्यक है।रात को जल्दी सोने और सुबह जल्दी उठने की आदत न केवल हमें मानसिक रूप से सुकून देती है, बल्कि हमारे शरीर की बायोलॉजिकल हेल्थ को भी संतुलित रखती है। इससे शरीर की सभी प्रक्रियाएँ-जैसे गट मूवमेंट और पाचन क्रिया आदि सभी अच्छी तरह से काम करती हैं।जब हमारे शरीर और मन दोनों शांत होते हैं, तो हमारा गट भी बेहतर तरीके से कार्य करता है।
5. गट के दुश्मनों से दूरी बनाइए: ज्यादा तले भुने,केमिकल युक्त खाद्य पदार्थ, और प्रोसेस्ड फ़ूड जैसे सॉफ्ट ड्रिंक्स, ब्रेड,डब्बाबंद या फ्रोजन सब्जियां और फल आदि का सेवन हमें नहीं करना चाहिए, क्योकि प्रोसेस्ड फ़ूड हमारे गट में ख़राब बैक्टीरिया को बढ़ा देता है जिससे हमारा पाचन ख़राब हो जाता है, जबकि केमिकल युक्त और तले भुने खाद्य पदार्थ हमारे सम्पूर्ण स्वास्थ के लिए हानिकारक हैं, इसीलिए हमें हमेशा नेचुरल और शुद्ध आहार पर ध्यान देना चाहिए।
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